वैदिक संस्कृति पर GK MCQs – प्राचीन भारतीय इतिहास

वैदिक संस्कृति पर GK MCQs – प्राचीन भारतीय इतिहास

वैदिक संस्कृति पर GK MCQs के माध्यम से प्राचीन भारतीय इतिहास की गहरी समझ विकसित करें। यह विषय विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे State Police, SSC CGL, SSC CHSL, UPSC, Banking Exams, RRB Exams, CTET, NDA, CDS आदि के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इन MCQs के माध्यम से वैदिक काल की सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक और सांस्कृतिक विशेषताओं को जानें और अपनी परीक्षा की तैयारी को सुदृढ़ बनाएं।

Q21. वैदिक काल में ‘उपनिषद’ का क्या अर्थ था?
a) वेदों का अंतिम भाग
b) यज्ञ की विधि
c) राजा का आदेश
d) युद्ध की रणनीति

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Correct Answer: a) वेदों का अंतिम भाग
Explanation: वैदिक काल में ‘उपनिषद’ वेदों का अंतिम भाग माना जाता था। इसलिए इन्हें ‘वेदांत’ भी कहा जाता है। उपनिषदों में गहन दार्शनिक विचार और आध्यात्मिक ज्ञान का वर्णन मिलता है। ये ग्रंथ ब्रह्म, आत्मा और मोक्ष जैसे विषयों पर चर्चा करते हैं।

Q22. वैदिक काल में ‘वर्णाश्रम धर्म’ क्या था?
a) एक प्रकार का यज्ञ
b) समाज व्यवस्था का सिद्धांत
c) एक प्रकार का कर
d) एक प्रकार का त्योहार

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Correct Answer: b) समाज व्यवस्था का सिद्धांत
Explanation: वैदिक काल में ‘वर्णाश्रम धर्म’ समाज व्यवस्था का एक सिद्धांत था। इसमें समाज को चार वर्णों (ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र) और चार आश्रमों (ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ, संन्यास) में विभाजित किया गया था। यह व्यवस्था समाज को संगठित और व्यवस्थित रखने के लिए थी।

Q23. वैदिक काल में ‘अरण्यक’ क्या थे?
a) जंगल में रहने वाले लोग
b) वेदों का एक भाग
c) एक प्रकार का यज्ञ
d) राजा के सलाहकार

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Correct Answer: b) वेदों का एक भाग
Explanation: वैदिक काल में ‘अरण्यक’ वेदों का एक भाग थे। ये ग्रंथ वनों में रहकर अध्ययन करने वाले लोगों के लिए लिखे गए थे। अरण्यकों में यज्ञों के गूढ़ अर्थ और दार्शनिक विचारों का वर्णन मिलता है। ये उपनिषदों और ब्राह्मणों के बीच की कड़ी हैं।

Q24. वैदिक काल में ‘गोत्र’ का क्या महत्व था?
a) कृषि के लिए
b) वंश परंपरा के लिए
c) युद्ध के लिए
d) व्यापार के लिए

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Correct Answer: b) वंश परंपरा के लिए
Explanation: वैदिक काल में ‘गोत्र’ का महत्व वंश परंपरा के लिए था। गोत्र किसी ऋषि से शुरू होने वाली वंश परंपरा को दर्शाता था। प्रत्येक व्यक्ति अपने गोत्र से पहचाना जाता था और विवाह के समय गोत्र का विशेष ध्यान रखा जाता था। समान गोत्र में विवाह वर्जित था।

Q25. वैदिक काल में ‘पुरोहित’ की क्या भूमिका थी?
a) सेनापति
b) राजा का धार्मिक सलाहकार
c) व्यापारी
d) किसान

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Correct Answer: b) राजा का धार्मिक सलाहकार
Explanation: वैदिक काल में ‘पुरोहित’ राजा का धार्मिक सलाहकार होता था। वह यज्ञ और अन्य धार्मिक कर्मकांडों का संचालन करता था। पुरोहित राजा को धार्मिक और नैतिक मामलों में सलाह देता था और राज्य के महत्वपूर्ण निर्णयों में उसकी राय ली जाती थी।

Q26. वैदिक काल में ‘स्वयंवर’ क्या था?
a) एक प्रकार का यज्ञ
b) विवाह की एक पद्धति
c) एक प्रकार का त्योहार
d) राजा चुनने की प्रक्रिया

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Correct Answer: b) विवाह की एक पद्धति
Explanation: वैदिक काल में ‘स्वयंवर’ विवाह की एक पद्धति थी। इसमें कन्या स्वयं अपने पति का चयन करती थी। स्वयंवर में कई राजकुमार और योद्धा भाग लेते थे और कन्या अपनी पसंद के व्यक्ति को वरमाला पहनाकर पति के रूप में चुनती थी।

Q27. वैदिक काल में ‘अग्निष्टोम’ क्या था?
a) एक प्रकार का शस्त्र
b) एक महत्वपूर्ण यज्ञ
c) एक प्रकार का वस्त्र
d) एक प्रकार का आभूषण

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Correct Answer: b) एक महत्वपूर्ण यज्ञ
Explanation: वैदिक काल में ‘अग्निष्टोम’ एक महत्वपूर्ण यज्ञ था। यह सोम यज्ञों में सबसे छोटा और सबसे महत्वपूर्ण यज्ञ माना जाता था। इस यज्ञ में अग्नि और सोम देवता की पूजा की जाती थी। यह यज्ञ पाँच दिनों तक चलता था और इसमें कई पशुओं की बलि दी जाती थी।

Q28. वैदिक काल में ‘ऋण’ की अवधारणा क्या थी?
a) आर्थिक कर्ज
b) जन्म से मिले दायित्व
c) युद्ध का कर्ज
d) व्यापारिक कर्ज

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Correct Answer: b) जन्म से मिले दायित्व
Explanation: वैदिक काल में ‘ऋण’ की अवधारणा जन्म से मिले दायित्वों को दर्शाती थी। मनुष्य के जन्म लेते ही उस पर तीन ऋण माने जाते थे – देव ऋण (देवताओं के प्रति), पितृ ऋण (पूर्वजों के प्रति) और ऋषि ऋण (गुरुओं के प्रति)। इन ऋणों को चुकाना प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य माना जाता था।

Q29. वैदिक काल में ‘गुरुकुल’ क्या था?
a) एक प्रकार का मंदिर
b) शिक्षा की संस्था
c) राजा का महल
d) व्यापार का केंद्र

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Correct Answer: b) शिक्षा की संस्था
Explanation: वैदिक काल में ‘गुरुकुल’ शिक्षा की संस्था थी। यह गुरु के घर या आश्रम में स्थित होता था, जहाँ विद्यार्थी रहकर शिक्षा प्राप्त करते थे। गुरुकुल में विद्यार्थी न केवल शास्त्रों का ज्ञान प्राप्त करते थे, बल्कि जीवन के व्यावहारिक कौशल भी सीखते थे।

Q30. वैदिक काल में ‘धर्म’ का क्या अर्थ था?
a) केवल धार्मिक कर्मकांड
b) समाज और व्यक्ति के कर्तव्य और नियम
c) केवल पूजा-पाठ
d) केवल यज्ञ करना

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Correct Answer: b) समाज और व्यक्ति के कर्तव्य और नियम
Explanation: वैदिक काल में ‘धर्म’ का अर्थ समाज और व्यक्ति के कर्तव्य और नियमों से था। यह केवल धार्मिक कर्मकांडों तक सीमित नहीं था, बल्कि जीवन के सभी पहलुओं को नियंत्रित करने वाले नैतिक और सामाजिक नियमों का समूह था। धर्म का पालन करना सामाजिक व्यवस्था और व्यक्तिगत विकास के लिए आवश्यक माना जाता था।

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