संगम काल पर GK MCQs – प्राचीन भारतीय इतिहास
“संगम काल पर GK MCQs” प्राचीन भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण विषय है, जो प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे UPSC, SSC, रेलवे और अन्य परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए अत्यंत उपयोगी है। संगम काल, जो लगभग 300 ईसा पूर्व से 300 ईस्वी तक फैला था, तमिल साहित्य और संस्कृति के विकास का स्वर्ण युग माना जाता है। इस लेख में, हम संगम काल से संबंधित महत्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ प्रश्नों का संग्रह प्रस्तुत करेंगे, जिसमें संगम साहित्य, प्रमुख राजवंशों, सामाजिक संरचना और धार्मिक परंपराएँ शामिल हैं। अपनी तैयारी को मजबूत करें और संगम काल की गहराइयों में उतरें!
Q21. संगम साहित्य में वर्णित “एट्टुत्तोगै” क्या है?
a) आठ कविताओं का संग्रह
b) आठ कहानियों का संग्रह
c) आठ नाटकों का संग्रह
d) आठ गीतों का संग्रह
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Correct Answer: a) आठ कविताओं का संग्रह
Explanation: “एट्टुत्तोगै” संगम साहित्य का एक महत्वपूर्ण भाग है जिसमें आठ कविताओं का संग्रह है। यह संग्रह तमिल साहित्य का महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसमें विभिन्न विषयों पर कविताएँ शामिल हैं।
Q22. संगम काल में किस प्रकार के समाज का वर्णन मिलता है?
a) मातृसत्तात्मक समाज
b) पितृसत्तात्मक समाज
c) साम्यवादी समाज
d) लोकतांत्रिक समाज
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Correct Answer: b) पितृसत्तात्मक समाज
Explanation: संगम काल में पितृसत्तात्मक समाज का वर्णन मिलता है। इस समाज में पिता या पुरुष मुखिया का प्रमुख स्थान होता था। समाज में महिलाओं की स्थिति भी महत्वपूर्ण थी, लेकिन वे पुरुषों के अधीन होती थीं।
Q23. संगम साहित्य में वर्णित “पत्तुप्पाट्टु” क्या है?
a) दस कविताओं का संग्रह
b) दस कहानियों का संग्रह
c) दस नाटकों का संग्रह
d) दस गीतों का संग्रह
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Correct Answer: d) दस गीतों का संग्रह
Explanation: “पत्तुप्पाट्टु” संगम साहित्य का एक महत्वपूर्ण भाग है जिसमें दस गीतों का संग्रह है। यह संग्रह तमिल साहित्य का महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसमें विभिन्न विषयों पर गीत शामिल हैं।
Q24. संगम काल में किस प्रकार की अर्थव्यवस्था प्रचलित थी?
a) कृषि आधारित अर्थव्यवस्था
b) व्यापार आधारित अर्थव्यवस्था
c) शिल्प आधारित अर्थव्यवस्था
d) मिश्रित अर्थव्यवस्था
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Correct Answer: d) मिश्रित अर्थव्यवस्था
Explanation: संगम काल में मिश्रित अर्थव्यवस्था प्रचलित थी। इसमें कृषि, व्यापार और शिल्प तीनों का महत्वपूर्ण योगदान था। कृषि मुख्य आर्थिक गतिविधि थी, लेकिन व्यापार और शिल्प भी समृद्ध थे।
Q25. संगम साहित्य में वर्णित “तोल्काप्पियम” क्या है?
a) एक महाकाव्य
b) एक व्याकरण ग्रंथ
c) एक धार्मिक ग्रंथ
d) एक नाटक
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Correct Answer: b) एक व्याकरण ग्रंथ
Explanation: “तोल्काप्पियम” संगम साहित्य का एक महत्वपूर्ण व्याकरण ग्रंथ है। यह तमिल भाषा का सबसे पुराना व्याकरण ग्रंथ माना जाता है और इसमें भाषा, साहित्य और समाज के विभिन्न पहलुओं का वर्णन है।
Q26. संगम काल में किस प्रकार के वस्त्र प्रचलित थे?
a) सूती वस्त्र
b) रेशमी वस्त्र
c) ऊनी वस्त्र
d) खादी वस्त्र
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Correct Answer: a) सूती वस्त्र
Explanation: संगम काल में सूती वस्त्र प्रचलित थे। दक्षिण भारत में कपास की खेती होती थी और उससे सूती वस्त्र बनाए जाते थे। ये वस्त्र न केवल स्थानीय स्तर पर उपयोग होते थे, बल्कि विदेशी व्यापार में भी महत्वपूर्ण थे।
Q27. संगम साहित्य में वर्णित “मुल्लै” का क्या अर्थ है?
a) पहाड़ी क्षेत्र
b) जंगल क्षेत्र
c) कृषि योग्य मैदानी क्षेत्र
d) तटीय क्षेत्र
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Correct Answer: b) जंगल क्षेत्र
Explanation: संगम साहित्य में “मुल्लै” का अर्थ जंगल क्षेत्र से है। इस क्षेत्र में जंगल और वन्य जीवन का वर्णन होता है। मुल्लै क्षेत्र के लोग मुख्य रूप से शिकार और वन उत्पादों पर निर्भर थे।
Q28. संगम काल में किस प्रकार की संगीत शैली प्रचलित थी?
a) कर्नाटक संगीत
b) हिंदुस्तानी संगीत
c) लोक संगीत
d) शास्त्रीय संगीत
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Correct Answer: c) लोक संगीत
Explanation: संगम काल में लोक संगीत प्रचलित था। इस काल के गीत और संगीत लोक जीवन और संस्कृति को दर्शाते थे। पत्तुप्पाट्टु और एट्टुत्तोगै में लोक संगीत का वर्णन मिलता है।
Q29. संगम साहित्य में वर्णित “नेयदल” का क्या अर्थ है?
a) पहाड़ी क्षेत्र
b) जंगल क्षेत्र
c) कृषि योग्य मैदानी क्षेत्र
d) तटीय क्षेत्र
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Correct Answer: d) तटीय क्षेत्र
Explanation: संगम साहित्य में “नेयदल” का अर्थ तटीय क्षेत्र से है। यह समुद्र तट पर स्थित भूमि को दर्शाता है। नेयदल क्षेत्र के लोग मुख्य रूप से मछली पकड़ने और समुद्री व्यापार पर निर्भर थे।
Q30. संगम काल में किस प्रकार की सामाजिक संरचना प्रचलित थी?
a) जाति आधारित समाज
b) वर्ग आधारित समाज
c) जनजाति आधारित समाज
d) साम्यवादी समाज
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Correct Answer: a) जाति आधारित समाज
Explanation: संगम काल में जाति आधारित समाज प्रचलित था। समाज में विभिन्न जातियाँ थीं जिनका अपना-अपना स्थान और कार्य होता था। जाति व्यवस्था समाज की सामाजिक और आर्थिक संरचना को नियंत्रित करती थी।