संगम काल पर GK MCQs – प्राचीन भारतीय इतिहास
“संगम काल पर GK MCQs” प्राचीन भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण विषय है, जो प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे UPSC, SSC, रेलवे और अन्य परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए अत्यंत उपयोगी है। संगम काल, जो लगभग 300 ईसा पूर्व से 300 ईस्वी तक फैला था, तमिल साहित्य और संस्कृति के विकास का स्वर्ण युग माना जाता है। इस लेख में, हम संगम काल से संबंधित महत्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ प्रश्नों का संग्रह प्रस्तुत करेंगे, जिसमें संगम साहित्य, प्रमुख राजवंशों, सामाजिक संरचना और धार्मिक परंपराएँ शामिल हैं। अपनी तैयारी को मजबूत करें और संगम काल की गहराइयों में उतरें!
Q11. संगम साहित्य में वर्णित “तिणै” क्या है?
a) एक प्रकार का कर
b) एक प्रकार का त्योहार
c) भूमि का वर्गीकरण
d) एक प्रकार का व्यवसाय
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Correct Answer: c) भूमि का वर्गीकरण
Explanation: संगम साहित्य में “तिणै” भूमि के वर्गीकरण को दर्शाता है। इसमें भूमि को पांच प्रकारों में बांटा गया है – कुरिंजी (पहाड़ी क्षेत्र), मुल्लै (जंगल क्षेत्र), मरुदम (कृषि क्षेत्र), नेयदल (तटीय क्षेत्र) और पालै (शुष्क क्षेत्र)।
Q12. संगम काल में किस धातु के सिक्कों का प्रचलन था?
a) सोना
b) चांदी
c) तांबा
d) लोहा
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Correct Answer: a) सोना
Explanation: संगम काल में सोने के सिक्कों का प्रचलन था। इन सिक्कों को “काशु” कहा जाता था। रोमन साम्राज्य के साथ व्यापार के कारण रोमन सोने के सिक्के भी प्रचलन में थे, जिन्हें “पोन” कहा जाता था।
Q13. संगम साहित्य में वर्णित “अरसर” शब्द किसके लिए प्रयोग किया जाता था?
a) किसान
b) व्यापारी
c) शासक वर्ग
d) धार्मिक नेता
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Correct Answer: c) शासक वर्ग
Explanation: संगम साहित्य में “अरसर” शब्द का प्रयोग शासक वर्ग के लिए किया जाता था। यह शब्द राजा और उच्च अधिकारियों को संदर्भित करता था। अरसर समाज में सर्वोच्च स्थान रखते थे और राज्य के प्रशासन का संचालन करते थे।
Q14. संगम काल में किस प्रकार की कृषि प्रणाली प्रचलित थी?
a) भूमि रहित खेती
b) जलोढ़ कृषि
c) स्थानांतरी कृषि
d) वैज्ञानिक कृषि
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Correct Answer: b) जलोढ़ कृषि
Explanation: संगम काल में जलोढ़ कृषि प्रणाली प्रचलित थी। नदियों के किनारे स्थित उपजाऊ भूमि पर खेती की जाती थी। कावेरी, वैगई जैसी नदियों के तटों पर कृषि का विकास हुआ था। चावल मुख्य फसल थी।
Q15. संगम साहित्य में वर्णित “पट्टिनम” का क्या अर्थ है?
a) गांव
b) बंदरगाह नगर
c) राजधानी
d) मंदिर
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Correct Answer: b) बंदरगाह नगर
Explanation: संगम साहित्य में “पट्टिनम” शब्द का प्रयोग बंदरगाह नगर के लिए किया जाता था। ये नगर समुद्र तट पर स्थित होते थे और अंतरराष्ट्रीय व्यापार के केंद्र थे। कावेरीपट्टिनम, मुसिरी, तोंडी जैसे प्रसिद्ध पट्टिनम थे।
Q16. संगम काल में किस प्रकार के धार्मिक विश्वास प्रचलित थे?
a) केवल वैदिक धर्म
b) केवल बौद्ध धर्म
c) केवल जैन धर्म
d) मिश्रित धार्मिक विश्वास
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Correct Answer: d) मिश्रित धार्मिक विश्वास
Explanation: संगम काल में मिश्रित धार्मिक विश्वास प्रचलित थे। स्थानीय देवताओं की पूजा के साथ-साथ वैदिक, बौद्ध और जैन धर्म भी प्रचलित थे। मुरुगन, कोर्रवै जैसे स्थानीय देवताओं के साथ शिव, विष्णु जैसे वैदिक देवताओं की भी पूजा होती थी।
Q17. संगम साहित्य में वर्णित “नाडु” क्या था?
a) एक प्रकार का कर
b) प्रशासनिक इकाई
c) सैन्य इकाई
d) धार्मिक स्थल
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Correct Answer: b) प्रशासनिक इकाई
Explanation: संगम साहित्य में “नाडु” एक प्रशासनिक इकाई थी। यह कई गांवों का समूह होता था जिसका प्रशासन एक प्रमुख के अधीन होता था। नाडु का उद्देश्य स्थानीय स्तर पर शासन को संगठित करना और प्रशासनिक कार्यों को सुचारू रूप से चलाना था।
Q18. संगम काल में किस प्रकार की साहित्यिक सभा का आयोजन होता था?
a) विद्वत सभा
b) धार्मिक सभा
c) संगम सभा
d) व्यापार सभा
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Correct Answer: c) संगम सभा
Explanation: संगम काल में संगम सभा का आयोजन होता था। यह साहित्यिक सभा थी जिसमें कवि और विद्वान एकत्रित होकर अपनी रचनाओं का पाठ करते थे। संगम सभाओं में तमिल साहित्य का विकास हुआ और कई महत्वपूर्ण ग्रंथों की रचना हुई।
Q19. संगम साहित्य में वर्णित “अगम” और “पुरम” का क्या अर्थ है?
a) धार्मिक और सामाजिक
b) आंतरिक और बाहरी
c) कृषि और व्यापार
d) युद्ध और शांति
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Correct Answer: b) आंतरिक और बाहरी
Explanation: संगम साहित्य में “अगम” का अर्थ आंतरिक और “पुरम” का अर्थ बाहरी होता है। अगम साहित्य में प्रेम, भावनाएँ और व्यक्तिगत जीवन का वर्णन होता है, जबकि पुरम साहित्य में युद्ध, राजनीति और समाज का वर्णन होता है।
Q20. संगम काल में किस प्रकार की वास्तुकला का विकास हुआ?
a) मंदिर वास्तुकला
b) स्तूप वास्तुकला
c) मठ वास्तुकला
d) महल वास्तुकला
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Correct Answer: a) मंदिर वास्तुकला
Explanation: संगम काल में मंदिर वास्तुकला का विकास हुआ। इस काल के मंदिरों में द्रविड़ शैली की विशेषताएँ पाई जाती हैं। मंदिरों का निर्माण पत्थरों से किया जाता था और इनमें मूर्तिकला और चित्रकला का भी प्रयोग होता था।